Thursday, November 29, 2018

कानपूरा / वरुण ग्रोवर

उजड़ी रियासत, लुटे सुलतान
अधमरी बुलबुल, आधी जान
आधी सदी की आधी नदी के
आधी सड़क पे पूरी शान
आधा आधा जोड़ के बनता
पूरा एक फ़ितूरा
और आधे बुझे चराग़ के तले
पूरा कानपूरा 
हटिया खुली, सर्राफा बंद
ताड़े रहो कलेक्टरगंज
बात बात पे फैण्टम बनना
छोड़ो, बैठ के मारो तंज 
अरे अंग्रेजन तो बिसर गए
और गय्या रोड पे पसर गयी
अंडु-बख़्शी करते करते
बची-खुची सब कसर गयी ,
कसर गयी और भसड़ मची है 
चाट के लाल धतूरा
और आधे बुझे चराग़ के तले
पूरा कानपूरा 
जेब पे पैबंद, मिजाज़ सिकंदर
ढेर मदारी, एक कलंदर
टूटी सी जादू की छड़ी
एक रुकी सी रेत घड़ी 
आगे देख के पीछे चलता
शहर ये पूरा का पूरा
और आधे बुझे चराग़ के तले
पूरा कानपूरा  
(Listen to it covered by Amit Kilam and Rahul Ram of Indian Ocean for the movie Katiyabaaz here)

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