Saturday, May 26, 2018

झूले कदम के डार के झूलना पे / काजी नज़रुल इस्लाम

झूले कदम के डार के झूलना पे किशोरी किशोर,
देखे दोउ एक एकके मुख को चन्द्रमा चकोर
जैसे चन्द्रमा चकोर होके प्रेम नेशा बिभोर।
मेघ मृदंग बाजे वही झूलना के छंद में,
रिम झिम बादर बरसे आनन्द में,
देखने जुगल श्रीमुख चंद को गग घेरी आए घनघटा घोर।।
नवनीर बरसने को चातकिनी चाय,
वैसे गोपी घनश्याम देख तृष्णा मिटाय,
सब देव देवी चन्दना गीत गाय,
झरे वर्षा में त्रिभूवन की आनन्दाश्रुलोय।।

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