Sunday, April 18, 2021

हमरी अटरिया पे / गुलज़ार

सज के सजाये बैठी, साज़िंदे बुलाये बैठी
कहाँ गुम हुआ अंजाना
आले आले दीये भी जलाए रे जलाए
ना अटरिया पे आया परवाना

कौन सा तन हाय बरमाये रे
हमरी अटरिया पे
आजा रे सांवरिया
देखा-देखी तनिक होई जाए

किवड़िया से लगके पिया करे झांका-झांकी
बहुत कौड़ी फेंके पिया उड़ावे जहां की
कसम देवे जां की
आजा गिलौरी, खिलाई दूँ किमामी
लाली पे लाली तनिक हुई जाये
हमरी अटरिया पे

पड़ोसन के घरवा जई हौ
जई हौ ना सांवरिया
सौतन से बोली मोरी काटे जहरिया
जहरी नजरिया
आजा अटरिया पे पिलाई दूँ अंगूरी
जोरा-जोरी तनिक हुई जाये
हमरी अटरिया पे...

सजने लगाये बैठी
चुटिया घुमाये बैठी
कहाँ गुम हुआ अनजाना
कौन सा तन हाये बरमाये रे

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