Thursday, January 16, 2020

अर्थ / हूबनाथ पांडेय

चुप रहने के
हज़ार फ़ायदे
चुप रहनेवाले से
कोई नहीं झगड़ता
किसी को कष्ट नहीं होता
चुप रहनेवाला
कभी दुखी नहीं होता
कभी शिकायत नहीं करता
आलोचना नहीं करता
चुप रहनेवाला
सबको अच्छा लगता है
सबको अच्छा लगने
निहायत ज़रूरी है
चुप रहना
दस हज़ार साल पहले
मनुष्य ने जब
बोलना सीखने की
शुरुआत की
तब उसे नहीं पता था
बोलने से कहीं बेहतर है
चुप रहना
दस हज़ार साल बाद
ऋषियों की पावन भूमि पर
यह ज्ञान मिला
कि चुप रहनेवाला
सरकार गिराने के आरोप में
आधी रात को
गिरफ़्तार नहीं होता
डॉक्टर कहता है
जनम से बहरा व्यक्ति
जनम से गूंगा हो जाता है
गूंगा होने के लिए
बहरा होना अनिवार्य है
ज्ञानियों का मानना है
जीवन के किसी भी मोड़ पर
थोड़े से प्रयास से
बहरे हो जाओ
गूंगापन ख़ुद आ जाता है
बहरा होने का दूसरा फ़ायदा
कुछ हद तक
अंधापन आ जाता है
आप वही देख पाते हो
जो आंख के आगे है
और हर आंख की
एक सीमा तो होती ही है
और अगर बोलना हो जाए
बेहद ज़रूरी
और जेल भी न जाना हो
तो या तो वर्दी पैदा करो
या गर्दी पैदा करो
या कुर्सी पैदा करो
इनमें से कुछ भी पैदा न कर पाओ
तो बनकर शिखंडी
रक्षा करो
सत्ताधारी अर्जुन की
युद्धोपरांत
पद पुरस्कार प्रतिष्ठा
कुछ भी असंभव नहीं
अप्राप्य नहीं
अतः अनुभवियों की मानो
और चुप रहो
और बोलना ही पड़े
तो ऐसा बोलो
जिसका कोई अर्थ न हो
तकलीफ़ बोलने में नहीं
अर्थ से है
अर्थ चाहिए
तो अर्थ से बचो
चुप रहो
ख़ुश रहो!

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