Saturday, December 21, 2019

तनहाई चाहिए / अंजुम सलीमी

बुझने दे सब दिए मुझे तनहाई चाहिए
कुछ देर के लिए मुझे तनहाई चाहिए

कुछ ग़म कशीद करने हैं अपने वजूद से
जा ग़म के साथिए मुझे तनहाई चाहिए

उकता गया हूँ ख़ुद से अगर मैं तो क्या हुआ
ये भी तो देखिए मुझे तनहाई चाहिए

इक रोज़ ख़ुद से मिलना है अपने ख़ुमार में
इक शाम बिन पिए मुझे तनहाई चाहिए

तकरार इस में क्या है अगर कह रहा हूँ मैं
तनहाई चाहिए मुझे तनहाई चाहिए

दुनिया से कुछ नहीं है सर-ओ-कार अब मुझे
बे-शक मेरे लिए मुझे तनहाई चाहिए

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