Wednesday, March 6, 2019

कुछ न कुछ तो ज़रूर होना है / वाजिदा तबस्सुम

कुछ न कुछ तो ज़रूर होना है,
सामना आज उनसे होना है

तोड़ो, फेंकों, रखो, करो कुछ भी,
दिल हमारा है, क्या खिलौना है

ज़िंदगी और मौत का मतलब,
तुमको पाना है, तुमको खोना है

उठ के महफ़िल से मत चले जाना,
तुमसे रोशन ये कोना-कोना है

इतना डरना भी क्या है दुनिया से,
जो भी होना है सो तो होना है

No comments:

Post a Comment

घरेलू स्त्री / ममता व्यास

जिन्दगी को ही कविता माना उसने जब जैसी, जिस रूप में मिली खूब जतन से पढ़ा, सुना और गुना... वो नहीं जानती तुम्हारी कविताओं के नियम लेकिन उ...