दिल के हैं बुरे लेकिन अच्छे भी तो लगते हैं,
हर बात सही झूठी सच्चे भी तो लगते हैं।
कुछ कहते हैं न सुनते हैं जब बात हो मतलब की,
कहने भी तो लगते हैं सुनने भी तो लगते हैं।
फुरसत में वो बैठे हों और पास मैं जाऊँ तो,
पढ़ने भी तो लगते हैं लिखने भी तो लगते हैं।
मिलने को तो मिल आयें हम उनसे अभी जाकर,
जाने में मगर कितने पैसे भी तो लगते हैं।
अशार मेरे सुनकर होते हैं वो खुश लेकिन,
शोहरत से मेरी वो अक्सर जलने भी तो लगते हैं,
परवीन के शेरों में कुछ खास नहीं होता,
सुनने में मगर कितने अच्छे भी तो लगते हैं।
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