Thursday, August 23, 2018

सहरा को दरिया समझा था / ख़ालिद मोईन

सहरा को दरिया समझा था
मैं भी तुझ को क्या समझा था
हाथ छुड़ा कर जाने वाले
मैं तुझ को अपना समझा था
फिर जाऊँगा अपनी ज़बाँ से
क्या मुझ को ऐसा समझा था
इतनी आँख तो मुझ में भी थी

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