Sunday, June 17, 2018

अंदेशा / कफ़ील आज़र अमरोहवी

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशाँ क्यूँ हो
जगमगाते हुए लम्हों से गुरेज़ाँ क्यूँ हो
उँगलियाँ उट्ठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ़
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़
चूड़ियों पर भी कई तंज़ किए जाएँगे
काँपते हाथों पे भी फ़िक़रे कसे जाएँगे
फिर कहेंगे कि हँसी में भी ख़फ़ा होती हैं
अब तो 'रूही' की नमाज़ें भी क़ज़ा होती हैं
लोग ज़ालिम हैं हर इक बात का तअना देंगे
बातों बातों में मिरा ज़िक्र भी ले आएँगे
इन की बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
वर्ना चेहरे के तअस्सुर से समझ जाएँगे
चाहे कुछ भी हो सवालात करना उन से
मेरे बारे में कोई बात करना उन से
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी

(Find below the version that was used by Jagjeet Singh
for his song. One can listen to the song here.)

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी..

लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे ये भी पूछेंगे के तुम इतनी परेशां क्यूँ हो उंगलियां उठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ़ एक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़ चूड़ियों पर भी कई तंज़ किये जायेंगे काँपते हाथों पे भी फ़िकरे कसे जायेंगे लोग ज़ालिम हैं हर एक बात का ताना देंगे बातों बातों में मेरा ज़िक्र भी ले आयेंगे उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना वरना चेहरे की तासुर से समझ जायेंगे चाहे कुछ भी हो सवालात ना करना उनसे मेरे बारे में कोई बात न करना उनसे
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी..

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