Sunday, May 6, 2018

उड़ जायेगा हंस अकेला / कबीर

उड़ जायेगा हंस अकेला,
उड़ जायेगा हंस अकेला
जग दर्शन का मेला
जग दर्शन का मेला
 
उड़ जायेगा हंस अकेला...

जैसे पात गिरे तरुवर के
मिलना बहुत दुहेला
ना जानूँ किधर गिरेगा
लगेया पवन का रेला

उड़ जायेगा हंस अकेला
जग दर्शन का मेला...

जब होवे उमर पूरी
जब छूटेगा हुकुम हुजूरी
जम के दूत बड़े मजबूत
जम से पड़ा झमेला

उड़ जायेगा हंस अकेला
जग दर्शन का मेला...

दास कबीर हर के गुण गावे
वा हर को पारन पावे
गुरु की करनी गुरु जायेगा
चेले की करनी चेला

उड़ जायेगा हंस अकेला
जग दर्शन का मेला...

(Many artists have taken up this bhajan to sing over the time but the one artist that shall ever be associated with it is Pt. Kumar Gandharva Ji. Check out his rendition here on youtube )

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