Friday, January 4, 2019

धीरे से आजा री अँखियन में / राजिंदर कृष्ण

धीरे से आजा री अँखियन में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
छोटे से नैनन की बगियन में
निन्दिया आजा री आजा, धीरे से आजा

लेकर सुहाने सपनों की कलियाँ,
आके बसा दे पलकों की गलियाँ,
पलकों की छोटी सी गलियन में
निन्दिया आजा री आजा, धीरे से आजा

तारों से छुप कर तारों से चोरी,
देती है रजनी चँदा को लोरी,
हँसता है चँदा भी निन्दियन में
निन्दिया आजा री आजा, धीरे से आजा

आँखें तो सब की हैं इक जैसी
जैसी अमीरों की, गरीबों की वैसी
पलकों की सूनी सी गलियन में
निन्दिया आजा री आजा, धीरे से आजा

जगती है अँखियाँ सोती है क़िस्मत,
दुश्मन गरीबों की होती है क़िस्मत,
दम भर गरीबों की कुटियन में
निन्दिया आजा री आजा, धीरे से आजा

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