अनेकों ही छवि-चित्र
लय और गीत,
कथा-कहानी,
समायी हैं चहुँ ओर।
जतन जुटाते हैं लाखों
पकड़ने को
अपनी-अपनी विध से।
पकड़ में तो कुछ भी नहीं आता,
केवल छू भर गुज़र
जाता है।
वह छुअन
रंगों में सजती है,
गीत बन बिखरती है,
रूप-कथा रचती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
घरेलू स्त्री / ममता व्यास
जिन्दगी को ही कविता माना उसने जब जैसी, जिस रूप में मिली खूब जतन से पढ़ा, सुना और गुना... वो नहीं जानती तुम्हारी कविताओं के नियम लेकिन उ...
-
चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है। एक जल में एक थल में, एक नीलाकाश में। एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती, एक मेरे बन रहे विश्वास...
-
Chôl Chôl Chôl Urddhô gôgône baje madôl Nimne utôla dhôrôni tôl Ôrun prater tôrun dôl Chôlre Chôlre Chôl Chôl Chôl Chôl.. Ushar dua...
-
All about the country, From earliest teens, Dark unmarried mothers, Fair game for lechers — Bosses and station hands, And in town and city...
No comments:
Post a Comment