दर्द के हाथों खुशी को बेच मत,
अपने होंठों की हँसी को बेच मत,
क्या लगाएगा भला कीमत कोई,
मान-मर्यादा, खुदी को बेच मत।
बस नुमाइश के लिए बाज़ार में,
अपने तन की सादग़ी को बेच मत।
मौत की राहें न चुन अपने लिए,
प्यार की इस ज़िंदगी को बेच मत।
बस अँधेरा ही अँधेरा पाएगा
इस तरह से रौशनी को बेच मत।
बेमुरव्वत इस ज़माने के लिए,
अपनी आँखों की नमी को बेच मत,
आलिमों में नाम होगा एक दिन,
इल्म की इस तिश्नगी़ को बेच मत।
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घरेलू स्त्री / ममता व्यास
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