सुनो कवि! अब प्यार लिखो तुम, भावों का संसार लिखो।
सहला जाये जो तन मन को, मान लिखो मनुहार लिखो।
लिखो नदी क्यों बहती कलकल, कोयल कैसे गाती है।
कैसे करते शोर पखेरू, भोर किरण जब आती है।
बहका सहका मन क्यों होता, ऋतुओं के इतराने से,
क्यों खिलती हैं कलियाँ सारी, भ्रमरों के मुस्काने से।
छुअन लिखो तुम पुरवा वाली, बहती मस्त बयार लिखो।
सुनो कवि! अब प्यार लिखो तुम, भावों का संसार लिखो।
शब्दों में तुम लिखो खिलौने, रंग भावना का लिख दो।
बालू मिट्टी से रचने का, ढंग अल्पना का लिख दो॥
लिख दो बच्चे क्यों रोते हैं, माँ का आँचल पाने को।
क्यों जगती सबकी तरुणाई, अम्बर में छा जाने को॥
करता है जो जड़ को चेतन, ऐसी मस्त फुहार लिखो।
सुनो कवि! अब प्यार लिखो तुम, भावों का संसार लिखो॥
लिखो चाँदनी कैसे आकर, सोये ख्वाब जगाती है।
कैसे काली नीरव रजनी, मन को भय दिखलाती है॥
कैसे होती रात सुहावन, धड़कन सरगम बनती हैं।
संझा को अंतस में आकर, सुधियाँ कैसे ठनती है॥
मकरागति सूरज को कर के, आती मस्त बहार लिखो।
सुनो कवि! अब प्यार लिखो तुम, भावों का संसार लिखो॥
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
घरेलू स्त्री / ममता व्यास
जिन्दगी को ही कविता माना उसने जब जैसी, जिस रूप में मिली खूब जतन से पढ़ा, सुना और गुना... वो नहीं जानती तुम्हारी कविताओं के नियम लेकिन उ...
-
चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है। एक जल में एक थल में, एक नीलाकाश में। एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती, एक मेरे बन रहे विश्वास...
-
Chôl Chôl Chôl Urddhô gôgône baje madôl Nimne utôla dhôrôni tôl Ôrun prater tôrun dôl Chôlre Chôlre Chôl Chôl Chôl Chôl.. Ushar dua...
-
The Moon will shine, Without your smile, But no longer shall it be, A Moon that shines for me, Gone are the days, When you'd just ...
No comments:
Post a Comment