Tuesday, November 13, 2018

ताला / उर्मिला शुक्ल

मेरे दरवाजे पर
लगा है ताला
बहुत बड़ा और
बहुत पुराना
दरवाजे के बाहर
खड़े हैं चाँद,तारे और जुगनू
 मैं देखना चाहती हूँ चाँद
तापना चाहती हूँ सूरज
और पकड़ना चाहती हूँ जुगनू
मगर बीच में है ताला
जिसकी चाबी छिपी है
किसी अंधी बावड़ी में
और ताला बनाने वाला
कर रहा है अट्टहास

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