आसमान से गिद्ध गायब हो रहे हैं,
अख़बार कहता है-
कोई 'डाइक्लोफेनैक' का असर है शायद?
अख़बार, अक्सर पूरा सच नहीं बताते!
आसमान से गिद्ध गायब तो हुए
पर ज़मीन पर उतर आये - हम इंसानों के बीच..
गिद्ध अब हर जगह पे हैं,
गिद्ध अब हर तरह के हैं..
गाँवों के गिद्ध,
शहरों के गिद्ध,
घरों के गिद्ध,
चौराहों के गिद्ध,
हिन्दू मुसलमां
हरा केसरिया
कुछ मज़हबी गिद्ध हैं,
कुछ हैं - सेकुलर गिद्ध...
खुदा के घर से लेकर, संसद के दर तक..
हर तरफ गिद्धों का ही बसेरा हैं
गिद्धों का हुजूम है, गिद्धों का ही डेरा है |
प्रकृति का नियम है..
संतुलन हमेशा बना रहता है!
इसीलिए कहता हूँ,
झूठ लिखता है अख़बार...
आसमान से गिद्ध गायब नहीं हुए हैं,
बस, ज़मीन पर उतर आये हैं!!!
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