Thursday, July 12, 2018

युगन युगन हम योगी / कबीर

युगन युगन हम योगी
अवधूता, युगन युगन हम योगी
आवे ना जाये मिटे ना कबहुं
शब्द अनाहत भोगी
अवधूता, युगन युगन हम योगी


सब ठौर जमात हमारी
सब ठौर पर मेला
हम सब मांय, सब हैं हम मांय
हम है बहूरी अकेला
अवधूता, युगन युगन हम योगी


हम ही सिद्धि समाधी हम ही
हम मौनी हम बोले
रूप सरूप अरूप दिखा के
हम ही हम में हम तो  खेले
अवधूता, युगन युगन हम योगी


कहें कबीरा सुनो भाई साधो
नाहीं न कोई इच्छा
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूँ
खेलूँ सहज स्वइच्छा
अवधूता, युगन युगन हम योगी

(Try listening to it in Pt. Kumar Gandharv's soulful mind-calming voice here.)

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