सब कुछ
गढ़ने के बाद
रह जाता
कुछ अनगढ़
कहां थी पूर्णता
रह जाता है
अपूर्ण
यह अधूरापन
सच है
या तुमसे
विलग होने की
सजा है
गढ़ने के बाद
रह जाता
कुछ अनगढ़
कहां थी पूर्णता
रह जाता है
अपूर्ण
यह अधूरापन
सच है
या तुमसे
विलग होने की
सजा है
जिन्दगी को ही कविता माना उसने जब जैसी, जिस रूप में मिली खूब जतन से पढ़ा, सुना और गुना... वो नहीं जानती तुम्हारी कविताओं के नियम लेकिन उ...
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