प्यार की सीमा रेखा
तय करनी होगी
कितनी गहराई तक
डुबोना है ख़ुद को
कहाँ से वापस
आ जाना होगा लौटकर
किनारों पर ।
तय करनी होगी
कितनी गहराई तक
डुबोना है ख़ुद को
कहाँ से वापस
आ जाना होगा लौटकर
किनारों पर ।
जिन्दगी को ही कविता माना उसने जब जैसी, जिस रूप में मिली खूब जतन से पढ़ा, सुना और गुना... वो नहीं जानती तुम्हारी कविताओं के नियम लेकिन उ...
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