Saturday, March 10, 2018

हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए / अब्दुल हमीद अदम

हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए
आप की ख़ुशी हुज़ूर बोलिए बोलिए
क्या हसीन ख़ार थे जो मिरी निगाह ने
सादगी से बारहा रूह में चुभो लिए
मौसम-ए-बहार है अम्बरीं ख़ुमार है
किस का इंतिज़ार है गेसुओं को खोलिए
ज़िंदगी का रास्ता काटना तो था 'अदम'
जाग उठ तो चल दिए थक गए तो सो लिए

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