Sunday, March 21, 2021

सपने जो सच हैं / उत्तिमा केशरी

सुख के सपने की छाँव तले
जब वह सोती है हर रात
मानिनी की तरह
तब दीख पड़ता है
नायक का वजूद
अतीव सुन्दर
सुघड़ सौम्य
अति संवेदनशील

मानो अजन्ता की
मूर्त्तियों की तरह
तराश लिया उसका गठीला जिस्म
कमान-सी खींची
भौंहें
कजरारी आँखें
गुलाबी होंठ

और
इनके मध्य
एक सुखद सपना
जो सच लगता है।

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