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Thursday, July 30, 2020
वह छुअन / कौशल्या गुप्ता
अनेकों ही छवि-चित्र लय और गीत, कथा-कहानी, समायी हैं चहुँ ओर। जतन जुटाते हैं लाखों पकड़ने को अपनी-अपनी विध से। पकड़ में तो कुछ भी नहीं आता, केवल छू भर गुज़र जाता है। वह छुअन रंगों में सजती है, गीत बन बिखरती है, रूप-कथा रचती है।
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